मै तुम्हे आज वो सच बताता हूँ,
जिंदगी मै मिली है मोहब्बत,हिजार और नफरत मुझे,
बस अब मुकम्मल हो जाना चाहता हूँ,
बस अब मुकम्मल हो जाना चाहता हूँ,
मुझे ना मिन्नत किसी से, ना शिकवा किसी से,
जिंदगी ही कुछ यू बदल गई ए-दोस्त,
जलते चिरागों की रोशनी में रहने की तलब नही अब मेरी,
मै इस जिंदगी का चिराग ही बुझाना चाहता हूँ,
जिंदगी ही कुछ यू बदल गई ए-दोस्त,
जलते चिरागों की रोशनी में रहने की तलब नही अब मेरी,
मै इस जिंदगी का चिराग ही बुझाना चाहता हूँ,
वो रहती है खुद नए घरो में,
अब इस पुराने घर से भी उसकी यादे मिटाना चाहता हूँ,
ना जाने क्यूँ तलब है,उससे बोलने की दिल में मेरे आज भी,
अब इस पुराने घर से भी उसकी यादे मिटाना चाहता हूँ,
ना जाने क्यूँ तलब है,उससे बोलने की दिल में मेरे आज भी,
मिटाने इसे मै मौत के दरमियान जाना चाहता हूँ,
सच-ए-खास तो अभी बहुत बाकी है दोस्तों,
बस अब मै मुकम्मल हो जाना चाहता हूँ,
…………………………………………….वीनू (Venu)बस अब मै मुकम्मल हो जाना चाहता हूँ,
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